Wednesday, March 12, 2014

सेक्युलरिज्म

फेसबुक पर कुछ ग्रुप हमेशा सेक्युलरिज्म के विरोध से रंगे रहते है। सेक्युलर लोगो को गंदी गंदी गालिया दी जाती है और ऐसे लोगो को सेक्युलर कीड़ा कहा जाता है। हमेशा ऐसे पोस्ट तथा कमेंट दिख जाते है जो किसी विशेष धर्म के खिलाफ आग उगलते हैं।
अगर ऐसे लोगो से कहा जाए कि सेक्युलरिज्म क्यों ख़राब है तो उनका जवाब रहेगा कि सारे आतंकवादी सिर्फ एक धर्म विशेष के ही क्यों होते है? सेक्युलर लोग उन आतंकवादियों का पक्ष लेते है जिससे भारत देश कमजोर हो रहा है।
मेरा मानना है कि अगर ऐसे धार्मिक कट्टर जो किसी भी धर्म के हो, अगर उनकी बात मान ली जाए और सेक्युलरिज्म पर रोक लगा दी जाए तो क्या होगा! किसी एक व्यक्ति द्वारा किया गया कृत्य पूरे धार्मिक समुदाय द्वारा किया कृत्य मान लिया जाएगा। और फिर दोनों धर्मो के लोग आपस में जानवरों की तरह लड़ाई करेगे और तब वास्तव में देश को कमजोर करेगे। अभी भी ऐसे उदाहरण मौजूद है जिसमे सेक्युलरिज्म के अभाव के कारण लोगो ने एक दुसरे को मारने में कोई कसर नही छोड़ी। गोधरा, मुजफ्फरनगर, अहमदाबाद दंगे आदि इसके गवाह है कि इंसान किस हद तक गिर कर जानवर बन जाता है।

ठीक है मान लिया जाए कि भारत से सेक्युलरिज्म खत्म कर दिया गया। तो कट्टर हिन्दू हर मुस्लिम को इस देश से मार कर भगा देंगे। फिर क्या होगा! देश खुशहाल हो जायेगा।नहीं... फिर देश में केवल हिन्दू धर्म के लोग रहेगे लेकिन बिना लड़े कट्टर हिन्दुओ का मन कैसे भरेगा तो वो अब जाति के आधार पर लड़ेगे, आरक्षण को हटाने लगाने के लिए लड़ेगे, अफ़्रीकी महिलाओ को वेश्या का दर्जा दिलवाकर मारने के लिए लड़ेगे, उत्तर- पूर्व के लोगो को चिंका- चिंकी कहने के लिए लड़ेगे, दलितों के हाथ का बना खाना मिड डे मील में अपने बच्चों को न खाने देने के लिए लड़ेगे, सडक से गुजरती महिलाओं का सुनसान सडक पर रेप करने के लिए लड़ेगे, किसानो की जमीन छीन कर उद्योगपतियों को देने के लिए लड़ेगे, खाप पंचायते बैठा कर नवयुवको तथा नवयुवतियो को फांसी देने के लिए तथा प्रेम करने पर स्त्री के साथ मिल कर रेप करने के लिए लड़ेगे। और क्या क्या लिखूं कि वो किस किस के लिए लड़ेगें?
सेक्युलरिज्म ही वो भावना है जो ये मानती है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और अगर किसी धर्म के नाम का सहारा लेकर कोई आतंक फैलाता है तो उसके कारण पूरे धर्म को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। देश में शांति, भाईचारा, आपसी विश्वास, समझ, एकता सेक्युलरिज्म से ही आता है। अगर सेक्युलर लोग न हो तो बिना धैर्य के लोग एक जरा सी बात पर निर्दोषो का खून बहा देंगे।  यही बात अगर हम पाकिस्तान के लिए सोचे जहाँ सेक्युलरिज्म का अभाव है, धार्मिक मान्यता आहत होने के नाम पर गैर मुस्लिमों को फांसी दे दी जाती है, भीड़ द्वारा पीट पीट कर मार डाला जाता है, घर जला दिए जाते है, हिन्दू लडकियों को उठा लिया जाता है। क्या हम इसे जायज ठहरा सकते है? नहीं न, तो ऐसा ही हम अपने देश में गैर हिन्दुओ के साथ कैसे कर सकते है? जो व्यवहार गलत दिखता है वो सभी तथा हर परिस्थिति में गलत ही होता है। सेक्युलरिज्म के कारण हर धर्म के लोग धर्म को भूल कर अपने कार्यो पर ध्यान दे पाते हैं। जिस समाज में धर्म की ज्यादा चर्चा होती है उन समाजो का विकास नहीं दिखाई देता है, जहाँ विकास दिखाई देता है वो समाज ही खुद एक क्रांतिकारी धर्म बन जाता है। और हमे ऐसा ही समाज चाहिए।

Saturday, March 1, 2014

सिविल सर्विस की तयारी

नई दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में आते ही सिविल सर्विसिस की तैयारी करवाने के लिए कोचिंग, फोटोकापी की दुकाने, बाजार में बिकती मैगजीने तथा विद्यार्थियों का मेला एक अलग ही मंजर का अहसास कराता है।
नये नये विद्यार्थियों के लिए पहली मुश्किल किराए का कमरा ढूढने में आती है। 2008 में जब मै दिल्ली गया था तो मुखर्जी नगर में मुझे पहला कमरा 2300 ₹ में मिला था। 2014 में आज में मुखर्जी नगर के किराये को अफोर्ड नही कर सकता इसलिए बगल के इलाके नेहरु विहार में 7000₹ के कमरे में रह रहा हूँ। समझ जाइये की मंहगाई कितनी बढ़ चुकी है।
जब मै नया नया आया था तो एक जोश था कि पहली या दूसरी बार में ही IAS बन जाउगा। PCS की परीक्षा को पास कर लेता हूँ लेकिन आईएएस की परीक्षा का प्री कुछ नम्बरों से रह जाता है।
एक बात समझ में आती है कि बिना गाइड लाइन के इस क्षेत्र में आना जोखिम लेना होता है। इतने सालो बाद खुद की समझ विकसित करने में कोई समझदारी नही है अगर पहले से ही कोई रास्ता बताने बाला हो। मुझे रास्ता दिखाने बाला कोई नही मिला। अकेला अपने पथ पर अग्रसर हूँ। देखता हूँ कि कब भाग्य जागेगा।

Sunday, January 12, 2014

वो लड़की

मुख्यमन्त्री जी ने भ्रष्टाचार को मिटाने हेतु एक नयी हेल्पलाइन खोली थी जिस पर आम जनता अपनी अपनी समस्याये बता सकते थे। प्रेस कांफ़्रेस मे मुख्यमन्त्री जी ने बताया कि काफ़ी मात्रा में लोगों ने इस पर अपनी समस्याये बतायी किन्तु कुछ लोग गैर जरूरी और अगम्भीर समस्याये भी बता रहे है जिसका समाधान मैं भी नहीं कर सकता। जैसे कि कल एक लडकी का फ़ोन आया जो कह रही थी कि मेरी शादी करा दीजिये, मेरे घर वाले मेरे ब्यायफ़्रेंड से मेरी शादी के खिलाफ़ है। मुख्यमंत्री जी की ये बात सुनते ही सभी प्रेस कांफ़्रेंस में ठहाके लगाने लगे।
दो दिन बाद समाचार में आ रहा था कि अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ़ शादी करने के कारण एक नवयुवक और एक नवयुवती की हत्या उनके घर वालों ने कर दी। समाचार देखते देखते मुख्यमंत्री जी को उस लडकी के फ़ोन की याद आ गयी और अब वो उस फ़ोन करने वाली लडकी की समस्या की गम्भीरता को समझ चुके थे। किन्तु अब शायद देर हो चुकी थी।

Monday, September 17, 2012

व्हाट इज लव? प्रेम …






एक दीपक को रोज एक शमां जलाती थी और न चाहते हुये भी उसे जलना पडता था। वो शमां का एक अच्छा दोस्त भी था लेकिन हमेशा शिकायत करता था कि मुझे ये दोस्ती पसन्द तो है लेकिन जलना नहीं। शमां उसे बहुत प्यार करती थी इसलिये एक दिन बिना बताये वो दीपक की जिन्दगी से कहीं दूर चली गयी। दीपक को राहत मिली और ये सोच कर खुश हुआ कि अब जलना नहीं पडेगा। कुछ वक़्त तो ठीक गुजरा पर धीरे धीरे उसको शमां की कमी का अहसास होने लगा। उसका हर पल शमां की यादों में कटने लगा। उसकी हालत पागलों जैसी हो गयी। वो हर पल केवल शमां शमां पुकारता रहता और शमां को न पाकर वो दीपक अन्दर ही अन्दर टूटनें लगा। उसे अपनी जिन्दगी में कोई मकसद नहीं मिल रहा था जीने का और उसने भगवान से मुक्ति की प्रार्थना की। भगवान को दीपक पर दया आ रही थी अत: भगवान ने दीपक से कहा कि प्यार कभी नहीं मरता। प्यार उसी आग की तपिस के जैसे होता है जिसे तुम समझ नहीं पाये और उसकी शिकायत करने लगे। शमां तभी तक है जब तक वो आग है और अगर जब आग ही न रही तो तुम शमां को कैसे पाओगे? दीपक सारी बात समझ गया। भगवान चले गये। दीपक ने शमां की यादों में अपने आप को इतना जलाया कि दीपक जल उठा और शमां वापस आ गयी। दीपक फ़ूट फ़ूट कर रोने लगा और शमां को अपने गले लगाते हुये कहा कि मैं समझ ही नहीं पाया था कि बिना इस आग के मैं शमां का साथ कैसे पा पाता।

प्यार एक आग का अहसास है और अगर इस आग से प्यार नहीं कर सकते तो तुम प्यार भी नहीं कर सकते।

Thursday, June 21, 2012

कल्याणकारी राज्य

मुम्बई में एक अलग ही चलन दिखाई पडता है जहाँ ठाकरे परिवार, अंडरवर्ड, पुलिस, मीडिया ने अपना अपना एक अलग शासन चला रखा हो और सबका निशाना केवल आम जनता ही हो। वहाँ मुख्यमंत्री कोई भी बने लेकिन असली शासन ठाकरे का ही होता है इसी तरह पुलिस अंडरवर्ड से पैसे लेकर एक दूसरे के विरोधी गिरोहों को मारती है और पैसा कमाती है। मीडिया का सारा फ़ोकस केवल फ़िल्मी हस्तियों पर ही रहता है, मुम्बई में बस जो दिखायी नहीं देती वो है केवल जनता।
बसंत धोवले जैसे पुलिस वालो को लगता है केवल अब देर रात पार्टियां करने वाले गैर नुकसान दायक लोगों को जेल में डालनें से लोगों की नजर में पुलिस का साहस सराहा जायेगा लेकिन जब कि आंकडों मे जिस देश में अपराध दर अत्यंत बढ गयी हो वहाँ अपनी सारी पुलिस मशीनरी को केवल एक जगह ही लगाने से लगता है कि जैसे बसंत जैसे लोग अपनी कोई कुंठा निकाल रहे हो लडकियों को जेल में डालकर । अब रेव पार्टी मनाये या साधारण पार्टी, पुलिस को पार्टी शब्द से ही नफ़रत है शायद इसलिये अब हर पार्टी को जेल के पीछे पहुचाने के लिये बसंत धोवले हमेशा तैयार दिखता है। स्त्री को अपनी ताकत का अहसास दिला कर अब उसे अपने मर्द होने का अहसास होता होगा। जबकि कई मामलों में इन पार्टियों में कही ड्रग्स इस्तेमाल होने के सबूत भी नहीं मिले तो स्त्रियों पर वेश्या होने का आरोप लगा दिया गया।
राज्य का कार्य केवल जनता का कल्याण होना चाहिये और मनुष्य के व्यक्तित्व विकास में राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये। ये उसकी निजी स्वतंत्रता पर हमला होता है। अगर कोई अपना शरीर अपनी मर्जी से यौन सुख के लिये प्रदान करता है तो ये अपराध कैसे हो जाता है? जिस तरह मनुष्य को हर तरह का सुख लेने की आजादी होती है तो यौन सुख की आजादी क्यों नहीं? अभी भी मनुष्य को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली है और राज्य अभी भी एक कल्याणकारी राज्य की भूमिका में नहीं आ पाया है। वैसे भी कोई वस्तु गंदी नहीं होती बल्कि उसको देखने की नजर अच्छी या गंदी होती है। जाहिर है बसंत धोवले जैसे लोगो की नजर गंदी है जो हर चीज में गंदगी ढूढने की कोशिश करते रहते है।

Wednesday, June 20, 2012

नैतिकता


एक बार एक राजा के दरबार मे एक व्यक्ति एक जेबकतरे को पकड कर ले गया। राजा ने उस से पूछा कि तुम क्या करते हो? तो वो व्यक्ति बोला कि राजन मै भी एक जेबकतरा हूँ लेकिन हमारे कुछ नैतिक नियम है जिस को इसने तोडा है। इसने एक अपाहिज राहगीर को लूटा है जब कि हमारे स्पष्ट नियम इस तरह की लूट को नाजायज बताते है अत: इसको दण्ड दिलवाने के लिये आपके पास लाया हूँ। राजा ने अपने सैनिको को आदेश दिया कि इन दोनों को पकड कर कैदखाने मे डाल दिया जाये जिस पर वहाँ विराजमान कुल गुरू ने राजन को ऐसा करने से रोकते हुये कहा- ‘महाराज, इस व्यक्ति ने अपनी नैतिकता के वशीभूत होकर एक सम्माननीय कदम उठाया है और आपको अपनी नैतिकता के वशीभूत होकर इसका सम्मान प्रकट करना चाहिये, न कि इसे कैदखाने में डाल देना चाहिये।’ राजन को अपनी गलती तुरन्त समझ में आ गयी और उस व्यक्ति का आभार प्रकट करते हुये कहा कि जब मेरे सैनिक तुमको रंगे हाथ पकड कर लायेंगे तब मै अपनी नैतिकता के अधीन तुम्हे उस अपराध के लिये कडा से कडा दण्ड दूंगा लेकिन अभी हमारी नैतिकता तुम्हे पुरस्कार प्रदान करने की आज्ञा दे रही है।

Monday, October 17, 2011

दिल उदास क्यूं है?

कभी कभी कुछ आरजू पूरी नहीं होती,
मांगते है दुआ पर कबूल नहीं होती,
रास्ते हैं छोटे, पर पाँव थक जाते है चलते चलते,
मंजिलों की तलाश कभी पूरी नहीं होती।

चाहा था लिखूं जीवन की कहानी कलम से अपनी,
घिसते रहे हम, पर रहा कोरा वो अब भी,
इन कागजो पर स्याही अपने निशान नहीं छोडती,
स्याह जिंदगी हर किसी की रोशन नहीं होती।

नहीं है ताकत अब और आगे चलने की,
नहीं है हिम्मत अब और पग धरने की,
काली है रात, क्यों सुबह नहीं होती?
आशा और उम्मीद अभी भी क्यों नहीं सोती?
क्या कल था, क्या आज है, हैं खाली हाथ,
कुछ हाथों की रेखाओं की किस्मत नहीं होती।

डूबती नाव पे सवार हो हम समुन्दर से टकराने चले,
कडकडाती बिजलियों में हम सीना तान चले,
जानते थे कि डूब जायेगी ये नाव जिन्दगी के इस तूफ़ान में,
जज्बातों की जिद में हम, हाथों से छेद नाव के थाम चले।