कभी कभी कुछ आरजू पूरी नहीं होती,
मांगते है दुआ पर कबूल नहीं होती,
रास्ते हैं छोटे, पर पाँव थक जाते है चलते चलते,
मंजिलों की तलाश कभी पूरी नहीं होती।
चाहा था लिखूं जीवन की कहानी कलम से अपनी,
घिसते रहे हम, पर रहा कोरा वो अब भी,
इन कागजो पर स्याही अपने निशान नहीं छोडती,
स्याह जिंदगी हर किसी की रोशन नहीं होती।
नहीं है ताकत अब और आगे चलने की,
नहीं है हिम्मत अब और पग धरने की,
काली है रात, क्यों सुबह नहीं होती?
आशा और उम्मीद अभी भी क्यों नहीं सोती?
क्या कल था, क्या आज है, हैं खाली हाथ,
कुछ हाथों की रेखाओं की किस्मत नहीं होती।
डूबती नाव पे सवार हो हम समुन्दर
से टकराने चले,
कडकडाती बिजलियों में हम सीना तान
चले,
जानते थे कि डूब जायेगी ये नाव
जिन्दगी के इस तूफ़ान में,
जज्बातों की जिद में हम, हाथों से
छेद नाव के थाम चले।
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