Thursday, June 21, 2012

कल्याणकारी राज्य

मुम्बई में एक अलग ही चलन दिखाई पडता है जहाँ ठाकरे परिवार, अंडरवर्ड, पुलिस, मीडिया ने अपना अपना एक अलग शासन चला रखा हो और सबका निशाना केवल आम जनता ही हो। वहाँ मुख्यमंत्री कोई भी बने लेकिन असली शासन ठाकरे का ही होता है इसी तरह पुलिस अंडरवर्ड से पैसे लेकर एक दूसरे के विरोधी गिरोहों को मारती है और पैसा कमाती है। मीडिया का सारा फ़ोकस केवल फ़िल्मी हस्तियों पर ही रहता है, मुम्बई में बस जो दिखायी नहीं देती वो है केवल जनता।
बसंत धोवले जैसे पुलिस वालो को लगता है केवल अब देर रात पार्टियां करने वाले गैर नुकसान दायक लोगों को जेल में डालनें से लोगों की नजर में पुलिस का साहस सराहा जायेगा लेकिन जब कि आंकडों मे जिस देश में अपराध दर अत्यंत बढ गयी हो वहाँ अपनी सारी पुलिस मशीनरी को केवल एक जगह ही लगाने से लगता है कि जैसे बसंत जैसे लोग अपनी कोई कुंठा निकाल रहे हो लडकियों को जेल में डालकर । अब रेव पार्टी मनाये या साधारण पार्टी, पुलिस को पार्टी शब्द से ही नफ़रत है शायद इसलिये अब हर पार्टी को जेल के पीछे पहुचाने के लिये बसंत धोवले हमेशा तैयार दिखता है। स्त्री को अपनी ताकत का अहसास दिला कर अब उसे अपने मर्द होने का अहसास होता होगा। जबकि कई मामलों में इन पार्टियों में कही ड्रग्स इस्तेमाल होने के सबूत भी नहीं मिले तो स्त्रियों पर वेश्या होने का आरोप लगा दिया गया।
राज्य का कार्य केवल जनता का कल्याण होना चाहिये और मनुष्य के व्यक्तित्व विकास में राज्य का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये। ये उसकी निजी स्वतंत्रता पर हमला होता है। अगर कोई अपना शरीर अपनी मर्जी से यौन सुख के लिये प्रदान करता है तो ये अपराध कैसे हो जाता है? जिस तरह मनुष्य को हर तरह का सुख लेने की आजादी होती है तो यौन सुख की आजादी क्यों नहीं? अभी भी मनुष्य को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली है और राज्य अभी भी एक कल्याणकारी राज्य की भूमिका में नहीं आ पाया है। वैसे भी कोई वस्तु गंदी नहीं होती बल्कि उसको देखने की नजर अच्छी या गंदी होती है। जाहिर है बसंत धोवले जैसे लोगो की नजर गंदी है जो हर चीज में गंदगी ढूढने की कोशिश करते रहते है।

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