रामलीला मैदान में रात को सोते लोगो को जिसमे बूढ़े, बच्चे, महिलाये और जवान पुरुष बाबा रामदेव के साथ एकजुट होकर भारत के बढते भ्रष्टचार से लड़ने के लिए गाँधीवादी तरीके से सत्याग्रह कर रहे थे, उन पैर पुलिस द्वारा लाठिया,आसू गैस के गोले चलाना वो भी निहत्थे लोगो पर, इसे बर्बरता नहीं तो और क्या कहेगे?
मेरे ख्याल से कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी थी जिसको हर धर्म और जाति के लोग पसंद करते थे लेकिन जब सत्ता ज्यादा दिनों तक किसी के हाथो में आ जाती है तो धीरे धीरे वो आम लोगो की परवाह छोड़ कर मनमानी और निरंकुशता की ओर बढने लगती है। अब मुझे कांग्रेस पार्टी से नफरत हो गयी है। ये हर उस इंसान को बचाने की कोशिश कर रही है जो
भ्रष्टाचार का दोषी साबित हो रहा है।
राहुल गाँधी से कुछ उम्मीद की किरण नज़र आई थी लेकिन अन्ना और रामदेव की घटनाओ में उनकी सक्रियता नज़र नहीं आई? कहा हो राहुल भाई? दिख क्यों नहीं रहे हो? क्या कांग्रेस में केवल कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह और कुछ मुट्ठी भर लोग ही रह गए है जिन्होंने अन्ना के खिलाफ वयान दे दे कर जनता को कांग्रेस के खिलाफ खड़ा कर दिया है, अब ये तो जगजाहिर बात है की एक सशक्त लोकपाल की सहायता से ही हम भ्रष्टाचार को थोडा काबू में तो कर ही सकते है जैसा की पश्चिमी देशो के यहाँ पाया जाता है, लेकिन जो इसके खिलाफ जायेगा, उस से यही सन्देश जायेगा की वो भ्रष्टाचार को नहीं मिटाना चाहता है। २-जी स्पैक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला, एस-बैंड घोटाला, कॉमनवेल्थ खेल घोटाला, अन्ना के खिलाफ वयान बाजी, रामदेव के ऊपर पुलिस कारवाई, और फिर भारत देश की समस्त जनता के गुस्से को अनदेखा कर अपनी सत्ता के मद में चूर होकर शुतुरमुर्गी रवैया अपनाने से लग रहा है की इस पार्टी का अंत समय निकट आ गया है, अब जो ये सत्ता से बाहर जाएगी तो, एक दशक से पहले इसका इलाज संभव नहीं दिखता।
अन्ना और रामदेव में से मई अन्ना के ज्यादा करीब हू लेकिन अब जो बाबा रामदेव के साथ हुआ है उसे मै कतई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हू, संविधान की धज्जिया उड़ा दी गयी है। संविधान सभा में यही पार्टी थी जिसने एक नए भारत की बुनियाद रक्खी थी, सच में आज महात्मा गाँधी होते तो रो पड़ते। भारत की जनता के मौलिक अधिकारों को कोई नहीं छीन सकता ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था लेकिन अपने मजे के लिए आम जनता के प्रदत्त अधिकारों को कुचला जा रहा है, ये पार्टी गयी, अब नहीं बचेगी।
ना सोनिया गाँधी, ना राहुल गाँधी, ना चिदंबरम जैसे समझदार नेता कुछ बोल रहे है तो उनकी नीयत पर शक होता है, कपिल सिब्बल को इतनी छूट नहीं देनी चाहिए थी, दिग्विजय को पार्टी से तुरंत बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए था, लेकिन ऐसे बेवकूफ लोगो के कारण लगता है की अब इस कांग्रेस में बेवकूफों का बोलवाला है।