Sunday, March 9, 2008

कट्टरता दोनो की खतरनाक

बरसो पहले जो गलती पाकिस्तान ने की थी वो गलती अब भारत भी कर रहा है।

बात शुरु हुयी थी सन् 1947 से, जब 14 अगस्त को पाकिस्तान के नक्शे

का निर्धारण हुआ था। शुरु मे कुछ धार्मिक मुस्लिम कट्टरपंथी समूहों ने अपने

अपने नियम बनाये तथा लोगों से उन समूहों में शामिल होने की अपील की। बडी

संख्या में मुस्लिम लोग उन समूहों में जुडते चले गये थे। आरम्भ में तो इन

पाकिस्तानी संगठनों का मुख्य उद्देश्य समाज में धर्म की आस्था जगाना था और

उसमें ये काफ़ी सफ़ल भी रहे। पाकिस्तान सरकार से इन्हें आर्थिक मदद भी मिली

लेकिन धीरे धीरे इन संगठनों के अंदर कट्टरता का समावेश होता चला गया। अब

ये समूह कुरान का हवाला देकर आम मुस्लिम युवकों को गैर-मुस्लिमों के खिलाफ़

जिहाद की शिक्षा देने लगे। आम मुस्लिम युवकों को जबरदस्ती इस्लाम का पालन

कराया जाने लगा। दाढी रखना, दिन मे पाँच बार नमाज पढ़ना, रोजा रखना

इत्यादि अनिवार्य कर दिया गया। लेकिन कुछ मुस्लिम युवकों को जबरदस्ती धर्म

का पालन कराया जाना ठीक नहीं लगा क्योंकि धर्म आस्था पर टिका होता है और

ये लोग अपनी आस्था के प्रदर्शन को अपना निजी मामला मानते थे, ये नहीं

चाहते थे कि कोई अन्य व्यक्ति आकर इन्हे बताये कि क्या करना धार्मिक है और

क्या अधार्मिक। अब ऐसे युवकों को चुन चुन कर पीटा जाने लगा तथा डंडो के

बल पर इस्लाम का पालन कराया जाने लगा। पाकिस्तान सरकार ने इसे आम

बात समझ कर इस पर ध्यान नहीं दिया।

ये सबसे बडी गलती की थी पाकिस्तान सरकार ने, जिसने आज पाकिस्तान की

सत्ता हिलाकर रख दी है। इन कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों ने इस छूट का फ़ायदा

उठाकर ये ऐलान कर दिया कि जो कोई मुस्लिम व्यक्ति हमारे कहे अनुसार नही

चलेगा उसे जान से मार डाला जायेगा। इन संगठनों के मुखिया अब सरकार की

नाक के नीचे खुलेआम सभायें आयोजित करने लगे और इन सभाओं मे अस्त्र-शस्त्र

भी खुलेआम आसमान मे दागे जाने लगे। इन सभाओं मे जिहाद का नारा दिया

जाने लगा तथा गैर-मुस्लिमों के खिलाफ़ फ़तवे जारी होने लगे। अब पाकिस्तान

सरकार की आँखें खुली, सरकार ये देखकर दंग रह गयी कि सेना मे प्रयोग होने

बाले अस्त्र-शस्त्र इन कट्टरपंथियों के पास कैसे गये। लेकिन तब तक बहुत

देर हो चुकी थी। सरकार के दिये पैसों से इन संगठनों ने सेना मे अपनी पैंठ

बना ली थी। सेना इन कट्टरपंथियों के इशारे पर चलने लगी। यहीं से पाकिस्तान

में सैन्य सरकार का फ़ार्मूला बना और मौका देखकर सेना ने तख्तापलट कर

दिया। तब से पाकिस्तान मे हमेशा सैन्य सरकार ज्यादा बनती है, लोकतंत्र का

मतलब भी नहीं जानते वहाँ के निवासी। बात फ़िर से पैसो पर आकर अटक गयी

थी, क्योंकि खुद की सरकार होने के बावजूद पाकिस्तान मे आर्थिक तंगी की

हालत थी। कोई विकास तो हो नही रहा था वहाँ पर, और जनता पर कर का

बोझ डालकर ये संगठन अपनी लोकप्रियता खोना नहीं चाहते थे। साथ ही साथ

इन्होंने जिहाद का जो नारा दिया था उसके लिये गैर-मुस्लिमों को मारने के

लिये हथियारों की जरुरत थी और हथियार खरीदने के लिये इतना पैसा भी नहीं

था इनके पास।

उसी वक्त दुनिया के एक हिस्से में सोवियत संघ और अमेरिका मे शीत युद्ध चल

रहा था। अफ़गानिस्तान की सीमा से सोवियत संघ की सीमा मिलती थी और इस

कारण अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन नामक लडाके को आर्थिक मदद देकर

सोवियत के विरुद्ध लड़ने के लिये तैयार किया। ओसामा बिन लादेन एक अफ़गान

कबाइली था जो पैसो के लिये कुछ भी कर सकता था। उसको लडाकों की

आवश्यकता थी और पाकिस्तान को पैसों की। ओसामा बिन लादेन ने पाकिस्तान

को आर्थिक मदद देकर पाकिस्तानी युवकों को सोवियत के खिलाफ़ लडने के

लिये प्रशिक्षण देना शुरु कर दिया। इस तरह से ओसामा बिन लादेन की फ़ौज

लम्बी होती चली गयी। सोवियत संघ पर कबाइली हमले होते चले गये। लेकिन

कुछ समय बाद राजनीतिक स्थिरता के बाद अमेरिका और सोवियत संघ मे

संधि हो गयी और माहौल सुधर गया। अमेरिका ओसामा बिन लादेन की ताकत

जानता था और उसके द्वारा बार बार आर्थिक सहायता की माँग के कारण

अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार डालने का निश्चय किया। अमेरिका

ने ओसामा बिन लादेन के कुछ सैनिको को पैसो का लालच देकर उसको मारने

का षड्यन्त्र रचा लेकिन इन स्वामिभक्त सैनिको ने ओसामा को सारी बात बता

दी और इस तरह ओसामा बिन लादेन आज अमेरिका का दुश्मन बन बैठा है।

ओसामा बिन लादेन जिहाद का सहारा लेकर अमेरिका से अपनी व्यक्तिगत

दुश्मनी निकाल रहा है और कुरान का सहारा लेकर अपनी फ़ौज बढा रहा है।

यहाँ एक बात समझ मे आती है कि यदि पाकिस्तानी सरकार धार्मिक कट्टरता

को शुरुआत मे ही कुचल देती तो आज ये अस्थिरता पाकिस्तान मे होती।

क्योंकि आज पाकिस्तान में सभी कट्टरपंथी संगठनों का सीधा संवाद रहता है

अलकायदा से, जो कि ओसामा बिन लादेन का संगठन है, जो लोकतंत्र तथा

विकास को पाकिस्तानी जनता से दूर कर रहा है।

अब ठीक ये खतरा भारत में भी दिखाई दे रहा है, शिव सेना, बजरंग दल

तथा विश्व हिन्दू परिषद जैसे कट्टरपंथी समूह के रुप मे। आजकल समाचारों

में दिखाया जा रहा है कि किस तरह से ये हिन्दू कट्टरपंथी समूह कानून को

हाथ मे लेकर समाज मे न्याय करने निकल पड्ते है। किसी को सरेआम पीटने

मे इनको कोई कुछ नहीं कर पाता है। हालांकि ये सरासर भारतीय संविधान का

उलंघन है लेकिन भारत सरकार कुछ ध्यान ही नही दे रही है। इस तरह मिली

छूट का फ़ायदा उठाकर ये धीरे धीरे कब खतरनाक हथियार भी उठा ले, ये

भारत सरकार को पता भी नहीं चलेगा और पाकिस्तान की तरह ये भी फिर

अपनी खुद की ताकत बढा कर सैन्य सरकार भी बना सकते है।

मै ये बात दावे के साथ कह सकता हूँ कि यदि सरकार ने जल्द ही ऐसी

कट्टरता पर रोक नही लगायी तो इस देश को बरबाद होने से कोई भी नहीं

रोक पायेगा क्योंकि इतिहास खुद को दोहराता जरुर है।

अमित कुमार वर्मा

02/सितम्बर/2007

1 comment:

AMIT VERMA said...

हमारी नजर से यदि आप इत्तेफ़ाक नहीं रखते, तो आप अपना नजरिया बयान कर सकते है। यदि समर्थन करते है तो कुछ लिखे जरुर।