एक दीपक को रोज एक शमां जलाती
थी और न चाहते हुये भी उसे जलना पडता था। वो शमां का एक अच्छा दोस्त भी था लेकिन हमेशा
शिकायत करता था कि मुझे ये दोस्ती पसन्द तो है लेकिन जलना नहीं। शमां उसे बहुत प्यार
करती थी इसलिये एक दिन बिना बताये वो दीपक की जिन्दगी से कहीं दूर चली गयी। दीपक को
राहत मिली और ये सोच कर खुश हुआ कि अब जलना नहीं पडेगा। कुछ वक़्त तो ठीक गुजरा पर धीरे
धीरे उसको शमां की कमी का अहसास होने लगा। उसका हर पल शमां की यादों में कटने लगा।
उसकी हालत पागलों जैसी हो गयी। वो हर पल केवल शमां शमां पुकारता रहता और शमां को न
पाकर वो दीपक अन्दर ही अन्दर टूटनें लगा। उसे अपनी जिन्दगी में कोई मकसद नहीं मिल रहा
था जीने का और उसने भगवान से मुक्ति की प्रार्थना की। भगवान को दीपक पर दया आ रही थी
अत: भगवान ने दीपक से कहा कि प्यार कभी नहीं मरता। प्यार उसी आग की तपिस के जैसे होता
है जिसे तुम समझ नहीं पाये और उसकी शिकायत करने लगे। शमां तभी तक है जब तक वो आग है
और अगर जब आग ही न रही तो तुम शमां को कैसे पाओगे? दीपक सारी बात समझ गया। भगवान चले
गये। दीपक ने शमां की यादों में अपने आप को इतना जलाया कि दीपक जल उठा और शमां वापस
आ गयी। दीपक फ़ूट फ़ूट कर रोने लगा और शमां को अपने गले लगाते हुये कहा कि मैं समझ ही
नहीं पाया था कि बिना इस आग के मैं शमां का साथ कैसे पा पाता।
प्यार एक आग का अहसास है और अगर
इस आग से प्यार नहीं कर सकते तो तुम प्यार भी नहीं कर सकते।